बदनाम खबरची,राजनीति का दुर्भाग्यपुर्ण निर्णय,आडवाणी को टिकट भी नहीं ?
राजनीति का दुर्भाग्यपुर्ण निर्णय,आडवाणी को टिकट भी नहीं ?

 

भाजपा के पितामह को शीर्ष नेतृत्व ने हाशिये पर धकेला।

 

कहावत है, राजनीति में कोई किसी का दोस्त-दुश्मन नहीं होता,राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए दूसरे को नीचे धकेलना ही पड़ता है,तभी आप ऊपर चढ़ सकते हैं भारतीय राजनीति में इसी प्रकार का एक उदाहरण भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता एवं भाजपा को ऊंचाइयों पर ले जाने वाले बुजुर्ग नेता व पार्टी के पितामह कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी के साथ करके दिया है,पहले से ही हाशिये पर धकेल दिये गए श्री आडवाणी का अब लोकसभा टिकट भी काट दिया गया।

 

आठ नवम्बर 1927 को कराची,पाकिस्तान में जन्मे लालकृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता है,भाजपा को भारतीय राजनीति में एक प्रमुख पार्टी बनाने में उनका योगदान सर्वोपरि कहा जा सकता है,वह कई बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके है, जनवरी २००८ में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एन डी ए) ने लोकसभा चुनावों को आडवाणी के नेतृत्व में लड़ने तथा जीत होने पर उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की थी,भारतीय जनता पार्टी के जिन नामों को पूरी पार्टी को खड़ा करने और उसे राष्ट्रीय स्तर तक लाने का श्रेय जाता है, उसमें सबसे आगे की पंक्ति का नाम है, लालकृष्ण आडवाणी,श्री आडवाणी कभी पार्टी के कर्णधार कहे गए, कभी लौह पुरुष और कभी पार्टी का असली चेहरा,कुल मिलाकर पार्टी के आज तक के इतिहास का अहम अध्याय है,लालकृष्ण आडवाणी,भाजपा को उच्चतम स्तर पर ले जाने वाले अपने इस बुजुर्ग व कद्दावर नेता को भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने पहले ही हाशिये पर धकेल दिया था, और अब उनके साथ अति करते हुए उनकी लोकसभा सीट भी छिनने की तैयारियां कर दी है, होली के दिन जारी पहली लिस्ट में श्री लालकृष्ण आडवाणी की परम्परागत सीट पर उनका नाम काटते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह को उम्मीदवार घोषित कर दिया है।

ज्ञात रहे पार्टी ने पहले श्री आडवाणी को ज़बरन 'मार्ग दर्शक' मंडल में भेज दिया, अब उनकी संसदीय सीट भी छीन ली

आठ बार सांसद रहे 91 वर्षीय आडवाणी ने 1989 में अपना पहला लोकसभा चुनाव दिल्ली से जीता था,इसके बाद से 2014 तक वे लगातार आठ बार लोकसभा सदस्य रहे, इनमें से गांधीनगर से उन्होंने छह बार चुनाव जीता था।

भाजपा ने 17 वी. लोकसभा चुनावो के लिए 21 मार्च को 184 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोबारा वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे, गांधीनगर से लालकृष्ण आडवाणी 

का टिकट काट कर उनकी जगह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह चुनाव मैदान में उतारा गया है,राजनीतिक गलियारों में चर्चा-ए-आम है, कि आडवाणी खुद रिटायर नहीं हो रहे थे,ऐसे में पार्टी ने यह कदम उठाया, श्री लाल कृष्ण आडवाणी एवं श्री मुरली मनोहर जोशी को पहले से ही हाशिये पर धकेलने के आरोप भाजपा के शीर्ष नेतृत्व लगते रहे हैं लेकिन शीर्ष नेतृत्व अपने ही पितामह को इस हालत में पहुंचा देगा,यह आशा नहीं थी भाजपा नेतृत्व का यह निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण व निराशाजनक है।

 

नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़,

 

गिला तब हो अगर तू ने किसी से भी निभाई हो।