सर्वशक्तिमान कोविड-19 उर्फ कोरोना प्रभु....के दरबार का आखों देखा हाल!
■ शकील अहमद सैफ
वैसे तो आजकल दिन में भी सपनें आने लगे हैं। लेकिन रात को मेरे सपनें में दुनिया भर की महाशक्तियों को धूल चटाने,बड़े-बड़ो को पानी पिलाने वाले कोरोना वायरस उर्फ कोविड-19 महाराज ने दर्शन दिये। चमगादड़ रूपी रथ पर सवार कोरोना महाराज बहुत ही भयानक रूप में नज़र आ रहें थे,बड़ा ही डरावना दृश्य था, दुनिया भर के सर्वशक्तिमान लगभग 2000 से अधिक धर्मों के संचालक वहां हाथ बांधे खड़े थे, सबकी एक ही गुहार रहम करो कोरोना हमारे पेट पर क्यों लात मार रहें हो,हमनें सदियों मेहनत कर अपने अपने धर्मगुरु पैदा किए हैं, आपके प्रकोप के बाद हमारी विश्वसनीयता घट रही है, लोग धार्मिक स्थलों से ज्यादा अस्पतालों में दान देने की मुहिम चलाने लगें है,हमारे समर्थक बेरोजगार हो गए है, कुछ तो रहम खाओ....
सच बता रहा हूँ,मेरी सर्व शक्तिमान कोरोना को देखते ही सिटी- पिटी गुम हो गई। कोविड-19 बड़ी भयानक हँसी के साथ बोला,क्यों क़लम के दुश्मन मज़ा आ रहा है ना, मेरी तो हालत पहले ही खराब हो चुकी थी, मैं मन ही मन अपना अंतिम समय मान कोविड रूपी कोरोना महादेव की जय जयकार की, और अपनी जान की अमान मांगते हुए थोड़ा मक्खन लगाते हुए कहा कि हे देवो के देव तेरे प्रताप और पराक्रम का दुनिया में हर कोई कायल हो गया है। तेरी थोड़ी सी तिरछी नज़र पड़ते ही दुनिया का सरदार अमेरिका अपनी महाशक्तियों के रहते हुए भी थर थर कांप गया था। परमाणु बम बनाने की होड़ समाप्त प्रायः है। कई देशों के महाबलियों को चपेटे में क्या लिया, तेरे नाम का डंका संसार के कोने कोने में बज चुका है। भगवान के नाम पर दुकानें चलाने वालो का भी अपने-अपने इस्वरो पर विश्वास उठ सा गया है। तुझे भागने के लिये न कोई स्पेशल नमाज़, न कोई हवन-पूजा न कर्मकाण्ड, लगता है कोविड महाराज ने सबकी दुकानदारी ठप्प करा दी है। इसलिए धर्मिक ठेकेदारों ने अपनी अपनी दुकान बंद करली है?
कोई भी सर्वशक्तिमान होने का दावा नहीं कर रहा है। तेरे ही प्रताप का असर है कि दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण होने लगा है। नदियां साफ हो गई हैं। पर्यावरण में साफ हवा बह रही हैं। पछियों का चहचहाना सुनाई देने लगा है। ओजोन परत में हुआ छेद भरने लगा है। वातावरण इतना साफ हो गया है कि मीलो दूर से पहाड़ नज़र आ रहें हैं। तेरी आगमन पर तो नोएडा जैसे प्रदूषित शहर में नील गाय निर्भय होकर विचरण करती देखी गई थी। हे परम् शक्तिशाली कोविड-19 तेरी महिमा का वर्णन करने के लिए मुझ जैसे तुच्छ के पास शब्द नहीं हैं। भारत वर्ष की पावन भूमि पर सीएए के विरोध में चल रहा धरना प्रदर्शन तेरे नाम पर एक झटके में समाप्त हो गया था, एनसीआर के विरोधी अर्त्ताधिन हो गए कुछ को सरकारी मेहमान बना दिया गया,लेकिन किसानों पर तेरी अनुकम्पा तेरे सह्रदय होने का जीता जागता उदाहरण है। दुनिया के कई देशों पर तेरा कहर बरपा हो कर शान्त हो गया। अब भारत पर भी अपनी नजरें इनायत फरमा, यहाँ चल रहा रुदन देखने की क्षमता अब हमारी नहीं रहीं, हजारों बच्चे अनाथ हो चुके हैं, असंख्य माता बहनों की मांग का सिंदूर हर लिया है, अनगिनत माँ बाप का सहारा छीन लिया है,अब हमारे पास शव जलाने के लिए लकड़ियों का अभाव पैदा हो गया, कब्रिस्तानों में स्पेस फूल के बोर्ड टँगे नजर आने लगे,और तो और लाइनों के लिए प्रसिद्ध भारत में तेरे कारण मुर्दों को भी लाईन में लगवा दिया,प्रभु कोविडा महाराज कुदृष्टि के कारण यह हो रहा है। पूरी दुनिया तेरे आगें नतमस्तक हैं। हे नाथों के नाथ अब तो शांत हो जा,
हे परम् शक्तिशाली, महाबलेश्वर कोरोना उर्फ कोविड-19 मेरी करबद्ध प्रार्थना हैं कि यदि तूने इस पापी संसार पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखी, और हमें अपने क्रोध से महफूज़ रखा, तो हम तेरे नाम का कोरोनेश्वर धाम मंदिर बनवा देंगे, हर साल तेरे नाम का मेला लगवाएंगे, पाठ करवाएंगे, तेरा उर्स करवाएंगे,भंडारों,लंगरों की प्रत्येक वर्ष भरमार रहेगी, हर धर्म के लोग अपने-अपने तरीके से तुझे महिमामंडित करेंगें। तेरे नाम से एक धर्म भी बना लेंगे। तेरे को महाकाल के मानस पुत्र का दर्जा देंगे, चूंकि आपका रूप कुछ धतूरे जैसा दिखता हैं इसलिए आपके चरणों में धतूरा चढ़ाएंगे, सीताफल, आपके नाम का पेटेंट फल होगा,भंडारे में उसी की सब्जी का भोग लगेगा, हम जानते हैं महाराज कि आप अल्कोहल से बहुत चिढ़ते हैं, इसलिए किसी भी हालत में मदिरापान किए व्यक्ति को आपके धाम के पास से गुजरने की इजाज़त नहीं होगी। आपके नाम से कोरनी अमावस्या होगी , ईसाई आपको फादर कोरोना कहेंगे,मुस्लिम भाई आपको हज़रत वुहान शाह के नाम से जानेंगे, चीन के वुहान शहर को दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल मान लेंगे,और आप जो भी आदेश देंगे उसका पालन करने में अपना सौभाग्य समझेंगे,हे कोविड महाराज हम सब पर दया करो, आपके नाम की अच्छी सी आरती भी बनाएंगे, कव्वाली अलग बनेंगी, भजन बनवाया जाएगा,बस थोड़ा अपना कोप कम करके अपनी सवारी चमगादड़-नाथ पर सवार होकर अपने, वुहानेश्वर धाम चीन को गमन करो और वहां से स्थान न बदलना..(व्यंग्यात्मक)