(बदनाम खबरची) महाविजेता का स्वागत और बधाई।

 


सत्ता नहीं विचार परिवर्तन ?

बदनाम खबरची में मोदी सरकार की पुनः वापसी की, जनता द्वारा सत्ता परिवर्तन में नई विचारधारा के स्वागत की व प्रचण्ड बहुमत में मोदी जी की कामयाब चुनावी रणनीति की। 
भाजपा नीत मोदी सरकार ने 2014 के बाद तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुए 2019 के आम लोकसभा चनावो में सभी आंकड़ों को दरकिनार करते हुए महाविजेता के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, अपने आप को सेकुलर मानने वाले विचारधारा के लोगों को मोदी की जीत कुछ हजम नहीं हो रही, कुछ ईवीएम में गड़बड़ी की बात कर रहे हैं, तो कोई चुनाव आयोग की मिलीभगत बता रहा है, जितने लोग उतनी बातें, 2019 के चुनावी परिणाम विपक्षी दलों के सारे अनुमान ध्वस्त हो गए, गठबंधन- महागठबंधन कुछ भी नहीं चल सका वामपंथ तो बिल्कुल ही सफाये की तरह है,वह अपने गढ़ पश्चिम बंगाल में ही समाप्त हो गया है, वामपंथी संघर्ष की भाषा भुल गये है,उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को भली भांति नहीं निभाया ...आखिर जनता उन पर कब तक और क्यों भरोसा करें, मोदी ने अपनी विचारधारा राष्ट्र भक्ति के रूप में जनता जनार्दन के दिलो दिमाग में बिठा दी...
इस बार एक परिवर्तन चुनाव  परिणामों में अवश्य देखने को मिला मिला टेलीविजन पर चुनावी समाचारों में भाजपा के स्थान पर मोदी का नाम दिखाया जा रहा था एक व्यक्ति ने अपने राष्टवादी जादू से पूरे देश की जनता को मंत्रमुग्ध कर दिया,अब संसद में विपक्ष की भूमिका भी समाप्त प्रायः है, चुनावों में मोदी की प्रचण्ड जीत एक विशेष विचारधारा की जीत है, देश में सेकुलरिज्म नाम की चिड़िया फुर होने को तैयार है, और अब मोदी ने नई पीढ़ी को राष्ट्रवाद के नाम पर कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने के लिए तैयार कर किया लिया है...विचाधारा परिवर्तन सदियों के लिये होता है, राष्ट्रवाद को परिभाषित किया जाने पर
राष्ट्रवाद की अन्य बहुत सी चुनौतियों में से एक यह भी है कि यहां इससे जुड़ी एक किस्म की कट्टरता के बरक्स दूसरी किस्म की कट्टरता देखने को मिलती है, और दुखद यह है कि विरोध की आंधी में अक्सर ही इस तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता, राष्ट्रवाद की बहस को जिस तरह से सिर्फ दो खेमों में बांट दिया गया है, ऐसे इस प्रकार समझ सकते है, जैसे भारत माता की जय' कोई राइट विंग हिन्दुत्व राष्ट्रवादियों का स्लोगन नहीं था इस देश में भारत माता की जय हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन का बिलकुल मेनस्ट्रीम स्लोगन था...लेकिन आज अचानक बहस होती है और किसी एक पक्ष का बयान आता है कि 'गला काट दो तब भी मैं नहीं बोलूंगा…' कहां से आता है यह बयान ? उसके जवाब में आता है कि एक स्टेट असेम्बली कहती है कि अगर यह डायलॉग नहीं बोलोगे तो असेम्बली से बाहर निकाल देंगे, किस संविधान में लिखा है, किस नियम में ऐसा लिखा है...उसके जवाब में देवबन्द से फतवा आता है कि यह एन्टी इस्लामिक है, यह कैसे एन्टी इस्लामिक हो गया? बुतपरस्ती एन्टी इस्लामिक है, इसमें कोई शक नहीं, लेकिन 'भारत माता की जय' 'मां तुझे सलाम' यह कहने में कहां कौन-सी आफत आ गई ? मोदी अपने चुनावी अभियान में देश के बड़े तबके को यह सन्देश देने में सफल रहे कि वह दुश्मन को घर में घुस कर मारने की क्षमता रखते है, और इस संदेश को आतंकवाद से त्रस्त देशवासियों ने हाथों हाथ लिया... परिणाम आपके सामने हैं,एक नई विचारधारा का पर्दापण देश में हुआ है, उसका स्वागत है, यह प्रचण्ड जीत विचारधारा के बदलाव की जीत हैं।