(बदनाम खबरची) सोना गिरवी रखने का अवैध कारोबार।
सोना गिरवी रखने का अवैध कारोबार।

 

करोड़ों रुपए का टैक्स चुरा रहें है, दबंग सूदखोर।

 

बदनाम खबरची में आज बात करेंगे गाजियाबाद में चल रहे सोना गिरवी रखने के अवैध कारोबार की, सोना गिरवी के खेल में सरकार को लग रहे करोड़ों रुपये के चूने की,मजबूरी में इन सुदखोरो के चंगुल में फंसने वाले उपभोक्ताओं के साथ हो रही धोखाधड़ी की एवं प्रशासन की चुप्पी की।

 

गाज़ियाबाद के चोपला मंदिर, डासना गेट के अंदर चल रही कपड़ों की दुकानों पर सोना गिरवी रखकर ब्याज पर रुपया देने का अवैध कारोबार चरम सीमा पर है मजे की बात यह है कि यह अवैध सूदखोर ना तो कही रजिस्टर्ड है, ना ही इन्होंने रुपया ब्याज पर देने का कोई लाइसेंस लिया हुआ है,इसी कारण उठाये गए पैसे से प्राप्त ब्याज पर कोई टैक्स यह सरकार को नहीं भरते साथ ही गाहे-बगाहे मजबूरी में इनकी शरण पाए उपभोक्ता के सोने के जेवरात भी यह ब्याजखोर हड़प कर जाते हैं। जिसकी कोई लिखित पढ़त ना होने के कारण कोई रिपोर्ट अथवा मुकदमा भी इनके विरुद्ध दर्ज नहीं हो पाता, वैसे इन लोगों ने अपने राजनीतिक आकाओं की पहुंच के बल पर स्थानीय पुलिस चौकी और कोतवाली में पूरी सांठगांठ की होती है,इन सूदखोरों द्वारा प्राप्त सूद पर कोई जीएसटी व इन्कम टैक्स नहीं दिया जाता फलस्वरूप सरकार को यह ब्याजखोर प्रत्येक वर्ष करोड़ों का चूना लगा रहे है, साथ ही उपभोक्ता के द्वारा यदि ब्याज देने में मामूली देरी भी हो जाये,तो यह उस पर 30 से 50 प्रतिशत तक जुर्माना ठोक देते है,और न ठोके जुर्माने को न अदा करने पर उसकी जीवन भर की कमाई से बने जेवरात को हड़पने में देर नहीं लगाते,इसके साथ गाली गलौज करना,मारपीट करना अथवा करवाना,धमकी देना इनके लिए मामूली काम है। 

अब हम आपको बताते है कि ब्याज पर रुपया देना, जेवरात को गिरवी रखना आदि कार्य कोई भी सरकार द्वारा निर्धारित प्रकिया द्वारा पूरी कर, यह कार्य कर सकता है, लेकिन उसमें आपको कमाई स्वरूप प्राप्त ब्याज पर जहां सरकार द्वारा लागू टैक्स देना पड़ता है, वही दूसरी ओर इन्कम टैक्स का भी भुगतान करना पड़ता है,और सभी लेनदेन का पूरा विवरण अपने पास रखने की बाध्यता भी होती है, लेकिन उस प्रक्रिया के अंतर्गत ब्याज का काम करने वाली कम्पनी किसी का जेवरात हड़प नहीं सकती इसके लिये मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स से अनुमति प्राप्त कर रिजर्व बैंक से शर्ते पूरी कर फाइनांस कम्पनी का लाइसेंस लिया जा सकता है, जो बहुत मुश्किल नहीं है,लेकिन कहावत है जब बिना मुश्किल किये रसमलाई खाने को मिल रही है, तो मेहनत करके ईमानदारी की रोटी के चक्कर में कौन पड़े?

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार जीएसटी एवं जिला प्रशासन के कुछ कर्मचारी/अधिकारियों को इनके क्रियाकलापों की पूरी जानकारी है,लेकिन विशेष स्वार्थों के चलते इनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं करते,इतना ही नहीं यदि इनके विरुद्ध कोई शिकायत भी आती है तो उसे भी चलता करने में नहीं चूकते,जीएसटी अधिकारियों को टैक्स चोरी करने वाले ब्याजखोरो की पहचान कर उनके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही तो करनी ही चाहिए, साथ ही चोरी किये गये टैक्स की वसूली भी सख्ती से करनी चाहिए,जिलाधिकारी को भी जिले में चंद लोगों द्वारा किए जा रहे अवैध ब्याजखोरो पर लगाम लगाने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए, अन्यथा यह इसी प्रकार गरीबों का खून चूसते रहेंगें व उनकी खून पसीने की कमाई पर खुलेआम डाका ड़ालते रहेंगे।