(बदनाम खबरची) संकट में है अबलाओं की आबरू

                                                                संकट में है अबलाओं की आबरू


                                              अनैतिक कार्यों में लिप्त आश्रमों के विरुद्ध कानून कब तक?


बदनाम खबरची में प्रस्तुत है, किस्सा -ए- बाबा।
आजकल भारतवर्ष की पावनभूमि पर तथाकथित नकली बाबाओं का मायाजाल फैला हुआ है, हर रोज़ कोई ना कोई नया बाबा व उसके आश्रम सामने आते हैं,जहां पर बालिग/ नाबालिग बच्चियों, महिलाओं से देह व्यापार,बलात्कार के मामले तो सामने आते ही हैं, साथ ही और भी अनैतिक कर्म आश्रमों में पकड़े जाते है,
अपने आपको भगवान कहलाने वाले आसाराम आजकल जोधपुर जेल में चक्की पीस रहे हैं, उन्होंने सैकड़ों महिलाओं,बच्चियों से बलात्कार किया साथ ही स्वयं को भगवान के रूप में स्थापित किया भारतवर्ष में उनके लाखों समर्थक थे।  
          हरियाणा के हिसार स्थित सतलोक आश्रम के बाबा रामपाल के किस्से कभी नही भूले जा सकते, उनका आश्रय तो आतंकी अड्डा साबित हुआ, पुलिस के रामपाल आश्रम की तलाशी लेने में छक्के छुट गये थे।
     तथाकथित रंगीला भगवान गुरमीत  सिंह राम रहीम के तो कहने ही क्या फिल्मी एक्टर से लेकर डायरेक्टर तक और भगवान से लेकर शैतान तक सारे किरदार बखूबी निभाने में वह एक्सपर्ट था, अब वह रोहतक की सुनारिया जेल में अपने कुकर्मों की सजा भुगत रहा है, गुरमीत के चाहने वालों ने उसके पकड़े जाने पर अशांति फैलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी, उनके मचाये बवाल में 31 लोगो को जान से हाथ धोने पड़े थे।
     राजस्थान के अलवर में फलाहारी बाबा के नाम से मशहूर जगदगुरू की उपाधि रखने वाले बाबा पर छत्तीसगढ़ की रहने वाली एक लॉ स्टूडेंट ने रेप का आरोप लगाया जिसके बाद पुलिस ने बाबा को गिरफ्तार कर लिया। 
 जैन मुनि शांति सागर पर एक लड़की ने रेप का आरोप लगाया। शुरूआती इनकार के बाद उन्होंने कबूल कर लिया कि लड़की के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। पुलिस ने जैन मुनि को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 
         ताजा तरीन मामले में देश की राजधानी दिल्ली एक और बाबा की काली करतूतों से शर्मिंदा हो गई है, धार्मिक भावनाओं के नाम पर लोगों के विश्वास के साथ खिलवाड़ करने का  मामला सामने आया है, बाबा ने ऐसा कारनामा किया है, जिसके बाद से कहा जा सकता है कि क्या अब धर्म के नाम पर कोई मां-बाप अपने बच्चों को बाबाओं के पास आशीर्वाद लेने भेज सकता है ? दिल्ली के विजय विहार इलाके में आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के नाम से एक आश्रम चल रहा है,इस आश्रम का संचालक बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित अपने आपको कृष्ण का अवतार बताता है,एक नाबालिग लड़की के माता-पिता ने बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित पर अपनी बेटी के साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया लेकिन पुलिस ने कार्रवाई नहीं की,जिसके बाद पीड़ित परिवार ने एक एनजीओ की मदद ली, उनकी
एक महीने से ज्यादा की कड़ी मशक्कत, भागदौड़ और बहुत कोशिशों के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत ही दिल्ली पुलिस को आश्रम में घुसकर जांच करने का निर्देश जारी कर दिया, पुलिस जांच में सैकड़ों नाबालिग वह बालिग लड़कियां आश्रम के अंदर बंद पाई गई साथ ही बाबा के दिल्ली व फर्रुखाबाद में छोटे-मोटे अनेक आश्रम पाए गए जहां पर भी नाबालिग बच्चियों को ताले में बंद रखा गया था, आश्रम में छापे के दौरान नशे के इंजेक्शन वह अन्य आपत्तिजनक काफी सामान भी बरामद हुआ है पुलिस द्वारा देह व्यापार की संभावना से  इनकार नहीं किया जा रहा।
          वीरेंद्र देव दीक्षित के बाद अब कौन से  बाबा के कारनामे उजागर होंगे यह तो समय के गर्त में छुपा है, आजकल अंधविश्वास के चलते भारतवर्ष में आश्रमों व बाबाओं की बाढ़ सी आ गई है, आश्रमों को मिलने वाला मोटा चंदा भी इस धंधे की चमक को खूब बढ़ा रहा है, सरकारी भी तुष्टिकरण की नीतियों के चलते इस ओर ध्यान नहीं देती है, ना ही आश्रम खोलने के लिए किसी सरकारी लाइसेंस,परमिट या जीएसटी की आवश्यकता होती है, जब चाहो सरकारी गैर सरकारी भूमि पर कब्जा कर आश्रम बनाओ और मौजा ही मौजा इसे कहते हैं, हल्दी लगे न फिटकरी रंग चोखा ही चोखा बस एक शर्त है कि आप लोगों को अपनी तर्कशक्ति के आधार पर ऊल्लू बनाने की कला में माहिर हो।
      सरकार को चाहिए कि सभी आश्रमों के लिए एक नियमावली तैयार कर उन पर कड़ी निगरानी रखें,अनैतिक कार्यों की भनक लगते ही कार्रवाई करें, व आश्रमों में सिर्फ 60 बर्ष से ऊपर की माताओं के रहने की इजाजत हो,ताकि आद्यात्मिक / रुहानी गतिविधियों के नाम पर चलने वाले तथाकथित आश्रमों से निजात पाई सके व हजारों बहनों/ माताओं की आबरू को ढोंगियों से बचाया जा सके।


                                                      मुझको कहीं मिले जो ख़ुदा तो मैं ये कहूं,
                                                       कुछ भी सजा गरीब को दे -दे जबां न देI