अवैध निर्माण का गढ़ बना इंदिरापुरम।
रसूखदारों के प्रति कार्यवाही नहीं करता प्राधिकरण ?
बदनाम खबरची में आज बात करेंगे शहर में हो रहें अवैध निर्माणों की,रसूखदारों के प्रति जीडीए के नरम रुख की एवं अवैध निर्माण की आड़ में प्रधिकरण में तैनात अधिकारियों की पौ-बारह की।
ग़ाज़ियाबाद, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष अपने तीखे तेवरों के चलते चर्चाओं में है शहर में पूर्व में हुए अवैध निर्माण आवासीय भवनों में व्यवसायिक गतिविधियां उनके निशाने पर हैं अनेकों लोग उनके तीखे तेवरों के शिकार हो चुके हैं,परंतु अवैध निर्माण का घर बन चुके इंदिरापुरम पर उनकी नजरें इनायत बनी हुई है,या कह सकते है कि रसूखदारों के प्रति उनका रुख नरम रहता है।
जीडीए द्वारा विकसित इंदिरापुरम आवास योजना गाजियाबाद की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शुमार होती है दिल्ली व नोएड़ा से सटे होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए इस कॉलोनी में रहना यहां के बड़े-बड़े सम्भ्रान्त लोगों का सपना होता है,और इसी बात का लाभ उठाते हुए यहा बिल्डर्स ने इसे अवैध निर्माणों का गढ़ बना दिया है, इंदिरापुरम में बिल्डर्स ने 12 मंजिल इमारत के स्थान पर 16 मंजिल 16 मंजिल के स्थान पर 18 मंजिल का निर्माण किया हुआ है, लगभग हर सोसाइटी में 30 से 50 तक अवैध फ्लैट बने हुए है,लेकिन यह सब जीडीए द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है, यदि इंदिरापुरम में भी जीडीए नियमों का पालन कराने की ठान ले तो 90 परसेंट सोसायटी फ्लैट जमीदोंज हो जाएंगे और यदि कम्पाउंडिंग की तो प्राधिकरण को अरबो रुपये का रेवेन्यू प्राप्त हो सकता है,इंदिरापुरम के ही "वैभवखंड" में स्थित आदित्य सिटी सेंटर /मेगा मॉल में स्वीकृत नक्शे के अतिरिक्त लगभग एक दर्जन से अधिक दुकानों/ कार्यालयों का अवैध निर्माण किया हुआ है। इस बात का खुलासा एक आरटीआई के जवाब में हुआ।
गैलरी तो गैलरी पार्किंग तक की जगह पर दुकानें बना दी गई, आदित्य माल में चायनीज हट दुकान संख्या एस पी एल-2, टूर बाजार दुकान संख्या बी जी-10 ए, कूल हॉट एन्ड अम्बेसिया रेस्टोरेंट दुकान नंबर एस जी-3, द ग्रेट इंडियन विलेज शॉप नंबर जी ए-2 व आदित्य मेगा सिटी आदि एक दर्जन से अधिक दुकाने अवैध निर्मित है उपरोक्त अवैध निर्माण के तथ्यों की पुष्टि जीडीए के प्रवर्तन जोन 6 / 2015 के पत्र संख्या 142 /आरटीआई,दिनांक 16 /3 2015 से होती है। आदित्य सिटी सेंटर /मेगा माल के इस अवैध निर्माण की शिकायत अनेको बार स्थानीय लोगों द्वारा लिखित में की गई है, परंतु निर्माण ध्वस्त करना तो दूर आज तक आदित्य माल को नोटिस तक जारी नहीं किया गया,आखिर ऊंची पहुंच वाले लोगों का मामला जो ठहरा।
प्राधिकरण जहां एक ओर रात-दिन अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की कार्यवाही करने का ढिंढोरा पिटता रहता है, वही दूसरी ओर रसूखदारों की ओर नज़र उठा कर देखना भी गवारा नहीं कर रहा, किसी भी सरकारी तन्त्र को भेदभाव पूर्ण कार्यवाही से बचना चाहिए।
अगर उनके अंदर भेदभाव की बीमारी है,
जनता के अन्दर भी विद्रोह की चिंगारी हैं।