उत्तर प्रदेश के विभाजन की मांग ने रफ्तार पकड़ीं।
अलग प्रदेश से ही विकास होगा पश्चिम उत्तर प्रदेश का ?
"बदनाम खबरची" में आज बात करेंगे अलग पश्चिमांचल प्रदेश की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन की, पश्चिमांचल के लोगों द्वारा नियमित रूप धरने,प्रदर्शन व जागरूकता अभियानों की एवं "उत्तम प्रदेश" के निर्माण की आवश्यकता की,पचहत्तर जनपद,अस्सी सांसद,चार सौ चार विधायक एवं साढ़े बीस करोड़ की विशाल आबादी (इतनी विशालकाय जनसंख्या में कई छोटे देश समा सकते है) वाले उत्तर प्रदेश के आम नागरिक सदैव से शासन प्रशासन पर विकास कार्यों में पक्षपात का आरोप लगाते रहे हैं,यदि पूरे प्रदेश की विकास एवं आय की समीक्षा की जाए तो पक्षपात नजर आने लगता है, मेडिकल कालेज, विश्विद्यालय, बड़े अस्पताल, सरकारी कारखाने,रेल कोच फैक्ट्री एवं हाई कोर्ट सब इलाहाबाद, लखनऊ, गोरखपुर, रायबरेली जैसे पूरब के इलाकों में स्थापित किए जाते है, उत्तर प्रदेश का पश्चिमी भाग हमेशा विकास के मामले में उपेक्षित रहा है, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नागरिकों की बदनसीबी देखिए कि उन्हें न्याय के लिये भी 500 से 700 किमी तक का सफर तय करना पड़ता हैं,न्याय के लिए इतनी दूर गुहार लगाने की मिसाल सम्पूर्ण विश्व में कही नहीं मिलती, सिवाये उत्तर प्रदेश के, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता पिछले 40 बर्षो से इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच की मांग को लेकर आंदोलन कर रहें हैं, लेकिन अफसोस क्षेत्रवाद व तुष्टिकरण के चलते कभी उनकी मांग पर किसी भी सरकार ने आज तक गम्भीरता पूर्वक विचार तक नहीं किया, राजधानी के निकट होने के कारण पश्चिम उत्तर प्रदेश के जिले खूब फले फूले यहां के मेहनतकश किसानों मजदूरों ने अपने परिश्रम से बेशुमार आय के साधन पैदा किए। गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ,मुजफ्फरनगर, आगरा, मुरादाबाद जैसे जिलों में चल रहे लघु उद्योगों ने पश्चिम उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक आयकर/ जीएसटी देने वाला जोन बना दिया,लेकिन प्रदेश के आकाओं की आंखें कभी नहीं खुलती, "पैसा पश्चिम का-विकास पूरब का"की दोहरी नीति आज भी चल रही है,पूरब का अफसर जब पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपनी पोस्टिंग पा जाता है तो उसकी आंखें यहां की समृद्धि देखकर भौचक्की रह जाती हैं और वह नादिरशाही अंदाज में लूटपाट पर उतारू हो जाता है।
प्रदेश एवं केंद्र सरकार की भेदभाव नीतियों के चलते अलग पश्चिमी उत्तम प्रदेश की मांग एक लंबे अरसे से चली आ रही है, हरित प्रदेश, ताज प्रदेश जैसे अनेक संगठनों ने अलग प्रदेश की मांग को लेकर आंदोलन चलाया,लेकिन इस प्रकार के संगठन कागजी साबित हुए जो ज्यादा समय टिक नहीं पाए।
कुछ समय पहले मोदीनगर के निकट सीकरी गांव के एक पढ़े-लिखे नौजवान डॉ अजय कुमार शर्मा ने अपने जैसे इंकलाबी युवाओं का एक गैर राजनीतिक "उत्तम प्रदेश निर्माण संगठन" का गठन किया, जिसमें पसौड़ा ( गाज़ियाबाद ) के तेजतर्रार हाजी वारिस जैसे गैरराजनीतिक पृष्ठभूमि वाले लोग शामिल किए गए, एक छोटा सा काफिला आज बेड़े का रूप ले रहा है, छोटे-छोटे गांवो,कस्बो में वर्कशॉपो का आयोजन कर पश्चिम उत्तर प्रदेश के गठन का महत्व बताया जा रहा है, लाखों किसानों-मजदूरों का इस आंदोलन से जुड़ाव हो चुका है।
इनका आंदोलन आज पश्चिम उत्तर प्रदेश की जनता में चर्चा-ए-आम है,यहां की जनता में उत्तम प्रदेश के निर्माण को लेकर उत्साह दिखने लगा है, एक जानकारी के अनुसार सोशल मीडिया पर "उत्तम प्रदेश निर्माण संगठन" समर्थकों की संख्या आठ लाख के आसपास हैं,"उत्तम प्रदेश निर्माण संगठन" द्वारा अलग "उत्तम प्रदेश" की मांग का बीज रोपा जा चुका है, जिसे अब वृक्ष बनते में देर नहीं लगेगी ?