(बदनाम खबरची) केजरीवाल के आगे सबके अस्त्र-शस्त्र प्लॉप ?

दिल्ली विधानसभा चुनाव


केजरीवाल के आगे सबके अस्त्र-शस्त्र प्लॉप ?


देश की राजधानी में 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में बड़े बड़े दिग्गजों को मैदान में धूल चाटने वाले राजनीति में नौसीखिये पहलवान केजरीवाल फिर लँगोट कस कर मैदान में लंगर लहरा रहे है,लेकिन अभी तक कोई योद्धा उन्हें चुनौती देता नहीं दिखाई दे रहा।
देश के इतिहास में पहली बार कोई मुख्यमंत्री एवं उसके कार्यकर्ता वोट मांगते नहीं दिखाई दे रहे, वह डंके की चोट पर कह रहे है कि यदि हमने काम और विकास किया हो तो वोट दे,अन्यथा नहीं, न धार्मिक उन्माद, न जातिवाद, न भाई भतीजावाद और न ही कोई तिकड़म व षडयंत्र, सीधा संवाद नो- बकवास....2015 मैं हुए विधानसभा चुनावों में जब पूरा देश मोदीमय हो रहा था व भाजपा का परचम एक तरफा लहरा रहा था, राजनीति के दिग्गज खिलाड़ियों की सांस फूल चुका थी, और मोदी जी पर अजेय का ठप्पा लग गया था, ऐसे कठिन समय में राजनीति के एक नौसीखिये खिलाड़ी केजरीवाल ने दिल्ली में विधानसभा की 70 में से 67 सीटे जीत कर  सभी को चारों खाने चित कर दिया था, वह भी सीमित संसाधनों के साथ, इस जीत के साथ राजनीति में हंसी मजाक के पात्र बनें केजरीवाल के चुनावी कौशल का पूरे देश ने लोहा माना था, दिल्ली सरकार की उपलब्धियां पर नज़र डालते तो पाते है कि सरकार ने जनता की उम्मीद से ज्यादा कार्य किया है, केजरीवाल सरकार ने शिक्षा का बजट तीन गुना किया और सरकारी स्कूलों का प्राइवेट स्कूलों से बेहतर रिजल्ट दिया, स्वास्थ्य का बजट दोगुना किया,अस्पतालों की सूरत सुधारी, दवाएं और टेस्ट मुफ्त कर दिए,राजधानी में 400 से अधिक मोहल्ला क्लीनिक खोले, इतना ही नहीं नोबल पुरस्कार विजेता और यूनाइटेड नेशंस के पूर्व महासचिव रह चुके कोफी अन्नान, जिनका अभी हाल ही में निधन हुआ, ने आप सरकार के मोहल्ला क्लीनिक योजना की बहुत तारीफ की थीं,फरिश्ते योजना के तहत सड़क हादसों में घायल तीन हजार लोगों की जान बचाई गयी, बिजली कम्पनियों के लाख मांग के बाबजूद बिजली की दरें नहीं बढ़ने दी,ऊपर से 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त, पानी भी (20 हजार लीटर प्रति महीने) फ्री देने की हो या फिर ऑड-ईवन कार चलाने की योजना,महिलाओं के लिए बसों में मुफ्त सफर के साथ आम जनता के लिए मुफ्त वाई फाई देकर दिखा दिया कि सरकार यदि ईमानदारी से काम करे तो जनता से प्राप्त टैक्स में जनता को काफ़ी सुविधाये सरकार दे सकती है, फर्क मात्र इतना सा है कि जनता से टैक्स के रूप में प्राप्त पैसा दलालों,नेताओं और भ्रष्टाचारियों अधिकारियों की जेब में ना जाकर विकास कार्यों में लगता है,केजरीवाल सरकार पर जनता को मुफ्तखोरी की आदत ड़ालने का आरोप लगाने वालों को केजरीवाल का साधारण सा जबाव है कि वह अपनी जेब से कुछ नहीं खर्च कर रहें, वह तो जनता के टैक्स को जनता की भलाई पर खर्च कर रहें हैं फिर विरोधी कुछ भी समझे...
केजरीवाल सरकार के एक और महत्वपूर्ण कदमों में है देश सेवा करने वाले दिल्‍ली निवासी तीनों सेनाओं दिल्ली पुलिस, अर्धसैनिक बल, होमगार्ड और आपदा रेस्क्यू के जवानों की शहादत के बाद, उनके परिवारों के लिए रुपये एक करोड़ का मुआवजा देना,यह सरकार का शहीदों के प्रति सम्मान दर्शाता हैं। इसके अलावा पुलों के निर्माण में लगभग साढे तीन सौ करोड़ रूपया बचाना भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना था यह साढे तीन सौ करोड़ रूपया अधिकारियों नेताओं और माफियाओं की जेब में ही जाता, दिल्ली सरकार की उपलब्धियां तो इतनी है कि उनके लिखने के लिए स्थान नहीं है आज भारत वर्ष को केजरीवाल जैसे विकास पुरुष की महती आवश्यकता है यदि इस प्रकार के चंद जनसेवक देश की राजनीति में आ जाएं तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी गिनती विकसित देशों में होने लगेगी।