(बदनाम खबरची) मरकज़ ने हजारों लोगों की जान खतरे में डाली।








































मरकज़ ने हजारों लोगों की जान खतरे में डाली।

मौत का सौदागर बने मरकज़ इंतजामिया के विरुद्ध सरकार कड़ी कार्यवाही करें।

 

आज पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है। हमारे देश के सभी नागरिक लॉकडाउन में रहने के लिए मजबूर हैं। देश की सभी गतिविधियां ठप हैं। सभी धर्मों के नागरिक कंधे से कंधा मिलाकर किसी ना किसी रूप में देश की मदद कर रहें है, पवित्र मज़हब इस्लाम का प्रतिनिधित्व करने वाले मुस्लिम देश सऊदी अरब में इस्लाम के सबसे मुकद्दस और पाक स्थान काबा खाना को भी उमरा के लिए रोक दिया है। भारतवर्ष के अधिकतर धर्मस्थान मंदिर/मस्जिदों में पूजा - नमाज रोक दी गई है वैसे हालात में दिल्ली हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज़ (धार्मिक प्रचार का सबसे बड़ा केंद्र) के कर्ता-धर्ता देश के सभी कानूनों को धता बताते हुए मरकज में लगभग पन्द्रह सौ अड़तालीस लोगों को इकट्ठा कर धार्मिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। मरकज में दूरदराज के सैकड़ों जमातियों के अलावा काफी संख्या में विदेशी भी थे, मरकज के संचालकों में ना केवल देश की कानून कानून की धज्जियां उड़ाई बल्कि हजारों लोगों की जान जोखिम में डाल दी है।इसके घातक परिणाम होने निश्चित है।जो कि धीरे धीरे सामने आने लगे हैं। मरकज़ से निकाल कर अस्पताल में भर्ती किये गए 448 जमातियों (धार्मिक यात्रा पर आये व्यक्ति) में कोरोना के लक्षण दिखाई दिये है। मंगलवार को आई जांच रिपोर्ट में 24 लोग पॉजिटिव निकले हैं। वहीं, 700 लोगों को क्वारैंटाइन किया गया है। दूसरी ओर खबर मिली है कि अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में अब तक कोरोना वायरस (कोविड-19) के मिले 10 मामलों में से 9 लोग निजामुद्दीन तबलीगी मरकज़ के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। वहीं, एक मरीज इनमें से एक की पत्नी है। एक अन्य प्राप्त समाचार में ज्ञात हुआ है कि मरकज़ में शामिल हुए छह लोगों की तेलंगाना राज्य में सोमवार को मौत हो गई। इनकी इस मूर्खतापूर्ण हरकत के नतीजे जब तक सामने आएंगे तब तक सैकड़ों लोगों को काल के गाल में समा चुके होंगे ? निजामुद्दीन मरकज़ द्वारा की इस कृत्य की जितनी निंदा की जाए कम है, यह अपराध किसी भी कीमत पर माफ़ी योग्य नहीं है, इंतजामिया के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये। इनके इस कृत्य से मुस्लिम समाज की काफी किरकिरी हो रही है। देश में हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति करने वालों को एक नया हथियार जो मिल गया है। हालांकि किसी व्यक्ति विशेष की लापरवाही को पूरे समाज से जोड़ना बेहद निंदनीय एवं दुर्भाग्यपूर्ण है।

 निजामुद्दीन मरकज़ के उलट दुनिया भर में मशहूर इस्लामिक एजुकेशन का हब दारुल उलूम,देवबंद ने बड़ा फैसला लिया। दारुल उलूम देवबंद ने कोरोना वायरस की लड़ाई में अपना अहम योगदान देने के इरादे से प्रदेश के मुख्यमंत्री व जिले के आला अधिकारियों को अवगत करते हुए पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि सरकार को अगर जरूरत पड़े तो दारुल उलूम के हॉस्टल को आइसोलेशन सेंटर बना सकती है। दारुल उलूम के प्रेस प्रवक्ता असरफ उस्मानी ने कहा है, कि दारुल उलूम ने एक पत्र मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी को भेजा है, जिसमे कहा गया है कि अगर सरकार को जरूत पड़े तो 100 कमरों से ऊपर वाले हॉस्टल को छात्रों से खाली कराकर सरकार उसे आइसोलेशन सेंटर बना सकती है। दारुल उलूम के इस निर्णय की चौतरफा प्रशंसा की जा रही हैं। निजामुद्दीन मरकज़ पर सफाई देते हुए

मुस्लिम धर्मगुरु खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा है, कि दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन की घटना के बहाने मुस्लिम समुदाय के प्रति नफरत फैलाई जा रही है। एक न्यूज चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, निजामुद्दीन वाले केस के लिए सोशल मीडिया पर बहुत नफरत फैलाई जा रही है।' उनका कहना है कि मरकज ने प्रशासन से कोई बात नहीं छिपाई और हर दिन का ब्योरा थाने को दिया।

खालिद रशीद फिरंगी महली की बात मान भी ली जाए तो सवाल यह उठता है कि 10 मार्च को देश में कोरोना 47 मामले पॉजिटिव पाये जा चुके थे। और लॉकडाउन जैसे विषय पर गम्भीरता से चर्चा होने लगी थी। फिर भी जमातों का आवागमन क्यों नहीं रोका गया ? यह सीधी सीधी कट्टरपंथी हठधर्मिता का मामला है, सरकार को मौत के सौदागर बन चुके मरकज़ इंतजामिया के विरुद्ध कड़े कदम उठाने चाहिए।


 

 



 



 















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