सैफ़ी समाज कोरोना पीड़ितों को प्रधानमंत्री राहत कोष में दिल खोल कर इमदाद दे।

          "सैफ़ी-डे' पर सैफ़ी वेलफेयर एसोसिएशन की अपील।


सैफ़ी समाज कोरोना पीड़ितों को प्रधानमंत्री राहत कोष में दिल खोल कर इमदाद दे।


■ शकील अहमद सैफ


दिल्ली, "सैफ़ी-डे' के अवसर पर सैफी वेलफेयर एसोसिएशन दिल्ली द्वारा एक अपील सैफी समाज से की गई है। सैफी वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जनाब मास्टर अली शेर सैफी और सैफ़ी संघर्ष समिति रजि. के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी कमाल सैफी,फरीदाबाद द्वारा जारी अपील में कहा गया है। कि फरवरी 2020 के दिल्ली दंगे एवं दुनिया में कुदरती कहर कोराना के चलते पूरे देश में लॉक डाउन लागू है। यहां तक कि समस्त मस्जिद /मंदिरे बंद हैं, हाथ मिलाना बंद है,फासले से रहने की सरकारी एडवाइजरी जारी है इस बेहद मुसीबत की टाइम हम सभी भेदभाव भुलाकर इंसानियत को सबसे बड़ा मजहब मानते हुए एक दूसरे की मदद के लिए हाथ बढ़ाएं। बयान में कहां गया है। कि इस मुसीबत के टाइम सैफी समाज के लोग अधिक से अधिक प्रधानमंत्री राहत कोष में इमदाद करें। जहां तक मुमकिन हो सके अपने पड़ोसियों का गरीब मजदूरों का ख्याल रखें खाने की आवश्यक वस्तुओं से भी मदद करने में पीछे ना रहे हैं नमाज घरों में पढ़ें, दुनिया के तमाम आलम के लिए दुआएं करें ।घरों में रहे लॉक डाउन के सरकारी आदेश का पालन करें। मास्क लगाकर रखें बार-बार हाथ धोने व सोशल डिस्टेंस का पालन करें, और सफाई का खास ध्यान रखें। अफवाहों पर ध्यान ना दें,न ही फैलाएं अफवाह फैलाने वालों को समझाएं। घर परिवार रिश्तेदारों पड़ोसियों के लिए हमेशा मदद के लिए तैयार रहें। अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और देश प्रेम व इंसानियत सिखाते रहें। सदैव अपने देश से प्यार करना और देश की एकता अखंडता बनाए रखने की कोशिश करते रहें। फिजूलखर्ची दिखावा आदि से परहेज करें। खाने की बर्बादी रोके दहेज जैसी समाजिक बुराइयों से बचे दहेज लोभियों का बहिष्कार करें।
ज्ञात रहे पहला "सैफ़ी-डे" सैफी वेलफेयर एसोसिएशन दिल्ली द्वारा सैफी हाउस, गोंडा में दिनांक 6 अप्रैल 1993 को जनाब मास्टर अली शेर सैफ़ी की कयादत में मनाया गया था। इस अवसर पर सैफी नाम इसलिए जोड़ा गया ताकि सैफी समाज अपने उन हजरात को हमेशा याद करते रहे जिन्होंने सैफी नाम दिलाने और उसके प्रचार-प्रसार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उस मीटिंग में तकरीबन सैफी समाज के 200 जिम्मेदार मौजूद थे चुनाव अधिकारी कमांडेट वाजिद अली सैफ़ी, हाजी नसरुद्दीन सैफ़ी की देख रेख में इंजी.समीम अहमद सैफ़ी को सैफ़ी वेलफेयर एसोसिएशन का सदर बनाया गया था। उसी दिन सैफ़ी अवॉर्ड व सैफी ऐज़ाज़ देने का ऐलान भी किया गया था जो हर साल सैफी-डे के मौके पर नुमाया काम करने वाले वाले हजरात एवं स्कूली छात्र छात्राओं को दिया जाता है। सन 1996 में पहली बार सैफी गाइड समीम अहमद सैफ़ी एवं मास्टर अलीशेर सैफी की देखरेख में सैफी समाज की मदद से निकाली गई थी, जिसमें सैफी समाज का संपूर्ण इतिहास लिखा है।जिसका विमोचन 6 अप्रैल 1996 को प्यारे लाल भवन आईटीओ पर किया गया था।
इस मौके पर सैफी समाज को एकता के सूत्र में पिरोने वाले मरहूम साहिबानों जिसमें हाजी मौजी खां सैफ़ी,मौलाना उस्मान फार्कलीत सैफी, मौलाना नजीर अकरम नईमी,बाबू मोहम्मद हनीफ सैफी,पहलवान मास्टर मोहम्मद अली सैफी हाजी गुलाम जिलानी,सैफ़ी हाजी अली शेर सैफी,बशीर अहमद सैफी,एम इशाक सैफ़ी, हाजी मोहम्मद अख्तर सैफी, डॉक्टर जफर अहमद सैफी,मोहम्मद हनीफ सैफ़ी, बाबू अहमद अली सैफी,डॉक्टर जेड अहमद सैफी,हाजी अब्राहिम सैफी,इंजीनियर शमसुद्दीन सैफी जैसे अनेकों  दिग्गजों को याद किया गया।
"सैफ़ी-डे" के मुबारक मौके पर अपील करने वाले साहिबानों में मास्टर अली शेर सैफ़ी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, ज़नाब हाजी अख्तर अली सैफी सरपरस्त,हाजी बन्ने खां सैफी सरपरस्त, हाजी मोहम्मद अली सैफी अध्यक्ष,ए रहमान सैफी पत्रकार, शकील अहमद सैफ पत्रकार, मोहम्मद मुस्लिम सैफ़ी सैफ़ी पोस्ट ,हाजी कमाल सैफी  (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, सैफ़ी संघर्ष समिति) कल्लू खां प्रधान, फहीमुद्दीन सैफी, मोहम्मद सलीम एडवोकेट, मोहम्मद यूसुफ सैफी, अनवार अहमद सैफी, हाजी सलीम सैफी मेरठ, जैनुद्दीन सैफी चकनवाला मोइनुद्दीन सैफी आगरा ,अखलाक प्रधान लोनी, इरशाद अहमद सैफी,मोहम्मद यासीन सैफी असलातूलपुर आदि प्रमुख हैं।