कानपुर हत्याकांड पुलिस इतिहास के पन्नों में काले अक्षरो से दर्ज।
अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण आखिर कब तक ?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था सुदृढ़ कर जनमानस में सुरक्षा की भावना पैदा करना और अपराधियों में कानून का भय व्याप्त करना हमारी सरकार की प्रमुख नीति है।राज्य सरकार द्वारा अपराध एवं अपराधियों के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है। अपराधी की जगह जेल में होगी...लेकिन अफसोस थाना चौबपुर जनपद कानपुर के एक अपराधी ने पूरे सिस्टम को ललकारते हुए हमारे पुलिस उपाधीक्षक सहित आठ जांबाज पुलिस कर्मियों को धोखे से मौत की नींद सुला दिया,साथ ही उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की कलई खोल कर रख दी। पूरी घटना ने समाज को हिला कर रख दिया, घटना की निंदा करने के लिए शब्द नहीं है। इस घटना के बाद क्या कोई आम आदमी गुंडों की धमकी के बाद पुलिस पर भरोसा करने की हिमाकत करेगा ? इस घटना का एक शर्मनाक पहलू यह भी है, कि पुलिस डिपार्टमेंट के ही चंद अपराधी प्रवर्ति के शातिर पुलिस कर्मियों के सहयोग से एक अपराधी के हौसले इतने बुलन्द हो गए कि वह कानून की रक्षा करने वालों पर ही हथियार उठाने का दुस्साहस कर पाया। घटना के चार दिन बीतने पर भी पुलिस फोर्स के हाथ अपने ही साथियों के हत्यारों तक नहीं पहुंच पाये है। अब एक नज़र विकास दुबे के आपराधिक इतिहास पर, विकास दुबे के ख़िलाफ़ चौबेपुर थाने में साठ मुक़दमे दर्ज हैं जिनमें कई हत्या और हत्या के प्रयास जैसे संगीन मामले भी शामिल हैं।लेकिन उसके बाद भी विकास दुबे के चौबपुर थाने से मधुर संबंध रहें है,विकास दुबे की शराब पार्टियों में इस थाने के पुलिसकर्मी आम तौर पर उपस्थित रहते थे। उसके आतंक का पता इस बात से चलता है, कि साल 2001 में विकास ने दर्जा प्राप्त कद्दावर राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या थाना शिबली कानपुर देहात के अंदर पुलिस कर्मियों की मौजूदगी में सरेआम कर दी थी, एवं हत्याकांड के चश्मदीद 19 पुलिसकर्मी गवाह अदालत में मुकर गए थे, व विकास दुबे बरी कर दिया गया था।जबकि संतोष शुक्ला भाजपा के नेता थे, वह तत्कालीन श्रम संविदा बोर्ड के चैयरमेन थे। अपराधी विकास दुबे के राजनीतिक संबंधों की पहुंच भी काफ़ी मजबूत बताई जाती है, इसके रिश्ते लगभग सभी राजनीतिक दलों से रहे हैं, भले ही वो सक्रिय रूप से किसी पार्टी के सदस्य न हों,विकास दुबे की पत्नी के ज़िला पंचायत चुनाव लड़ते वक़्त के पोस्टरों पर समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की तस्वीरों भी लगाई थी, हालांकि सपा का दावा है कि वह कभी भी पार्टी मेम्बर नहीं रहा। बसपा सुप्रीमो के भी निकटतम होने का दावा विकास दुबे करता रहा है। बीजेपी के कई नेताओं के साथ उनकी तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं, लेकिन बीजेपी के नेता भी साफ़तौर पर पार्टी से उनके संबंधों को ख़ारिज करते हैं। उत्तर प्रदेश में हुआ यह जघन्य हत्याकांड पुलिस इतिहास के पन्नों में काले अक्षरो से लिखा जाएगा, इस नरसंहार को कभी नहीं भुलाया जा सकता और न उनकी पृष्ठभूमि में जाने-अनजाने में की गयी (थाना चौबपुर)कानपुर पुलिस की नादानियों को। अपराधियों के विरुद्ध राज्य शासन को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार की जरूरत तो है ही,साथ ही पुलिस सुधारों की महती आवश्यकता भी है। अपने कर्तव्यों के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले वीर शहीद पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को भावभीनी श्रद्धांजलि।
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