(बदनाम खबरची) कोरोना वायरस से लड़ने की रणनीति बदली।

 सरकार का सराहनीय निर्णय।


कोरोना वायरस से लड़ने की रणनीति बदली।


कोरोना महामारी के इस वक्त में जहां एक और कामधंधे बंद होने लगे, उत्पादन घटने लगा, कर्मचारी बेरोजगार होने लगे व कंपनियों को नुकसान बढ़ने लगा तो वहीं लंबे अरसे के बाद एक बहुत अच्छी खबर पढ़ने को मिली। दिल्ली में कोरोना संकट से निपटने के लिए बुलाई गई बैठक से पहले गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से बात की। केंद्र सरकार और राज्यों की सरकारें अब कोरोना वायरस से लड़ने की रणनीति बदलने पर विचार कर रही हैं। इसका पायलट प्रोजेक्ट दिल्ली में शुरू हो रहा है। हालांकि यह दुर्भाग्य है कि कोरोना वायरस का पहला केस आने के साढ़े चार महीने बाद भारत में इस हकीकत को समझा गया है कि आक्रामक टेस्टिंग, आइसोलेशन और ट्रीटमेंट के अलावा कोरोना से लड़ने का कोई और उपाय नहीं है बहरहाल, इस नई रणनीति को समझने के लिए दिल्ली के पायलट प्रोजेक्ट को समझना होगा। दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के उप राज्यपाल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की और कोरोना का मुकाबला करने की रणनीति बनाई। कायदे से यह रणनीति पहले दिन बननी चाहिए थी, जैसा कि पहला केस आने से पहले ही केरल ने बनाई थी। इस नई रणनीति के तहत सबसे पहले यह तय किया गया कि टेस्टिंग बढ़ाई जाएगी।
दो दिन में टेस्ट दोगुने करने और छह दिन में तीन गुना करने का फैसला किया गया। इसके बाद कंटेनमेंट के इलाकों में यानी जहां ज्यादा मामले हैं वहां डोर टू डोर सर्वे का फैसला किया गया है। कंटेनमेंट के इलाकों में हर बूथ पर टेस्टिंग की व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही मेडिकल सुविधाएं बढ़ाने का काम भी तेजी से शुरू हुआ है। गृह मंत्री अमित शाह ने खुद ट्विट कर इन सारे फैसलों की जानकारी दी। इसके बाद उप राज्यपाल ने राधास्वामी सत्संग के  एक स्थान का निरीक्षण भी किया, जहां नई मेडिकल फैसिलिटी तैयार की जानी है। केंद्रीय गृह मंत्री ने रेलवे के पांच सौ कोच उपलब्ध कराने की बात कही हैं। जिनके लिए आनन्द विहार रेलवे स्टेशन को रिजर्व करने की घोषणा भी कर दी गई है, वहां पांच हजार मरीजों के रहने की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा आईसीयू बेड्स, ऑक्सीजन की सुविधा और वेंटिलेटर बढ़ाने का निर्णय भी केंद्र सरकार ने किया है। यदि यह काम चार महीने पहले किया गया होता तो आज दिल्ली में और देश के दूसरी जगहों पर भी हालात काबू में आ गए होते। अब देर से ही सही पर भारत सरकार और राज्यों की सरकारों ने वह काम शुरू किया है, जो पहले दुनिया के विकसित देशों ने किया था, वह अब से पहले भारत में भी होना चाहिए था। दिल्ली के पायलट प्रोजेक्ट के नतीजे एक हफ्ते में दिखने लगेंगे। यह तय है कि टेस्टिंग दो-गुनी, तीन गुनी होगी तो संक्रमण के मामले भी बढ़ेंगे पर उससे घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि वह सचाई है, जिसे दबाया गया था और जिसकी वजह से कोरोना का मामला विस्फोट की स्थिति तक पहुंचा है। अब सरकार को यह व्यवस्था करनी होगी कि अचानक मामले बढ़ें तो लोगों को अस्पताल में बेड्स मिले या अगर उन्हें घर पर ही आइसोलेशन में रखा जा रहा है तो समुचित मेडिकल सलाह और सुविधा मिले। अगर सरकार यह सुनिश्चित नहीं करेगी तो घबराहट और अफरातफरी मच जाएगी। सरकार के इस कदम से उम्मीद की किरणें दिखाई दे रही हैं।मुझे आशा ही नहीं अपितु विस्वास है। कि हम जल्दी ही कोविंड-19 महामारी से मुक्ति पाकर विश्व के महामारी रहित देशों की सूची में अपना नाम दर्ज कराने में कामयाब होंगे।