(बदनाम खबरची) पुलिस-प्रशासन का  घिनौना चेहरा उजागर।
 हाथरस बलात्कार कांड।

पुलिस-प्रशासन का  घिनौना चेहरा उजागर।

 

 हाथरस के गांव बुलीगढ़ी में 19 साल की लड़की से सामूहिक दुष्कर्म और उसकी मौत ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है। इस घटना के बाद से यूपी की योगी सरकार कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है। पहले गैंगरेप, फिर मौत और पीड़िता का जबरन अंतिम संस्कार होने के बाद सभी राजनीतिक दल योगी सरकार पर हमलावर हैं। इस हत्याकांड ने एक ओर मानवता को शर्मसार किया तो दूसरी ओर प्रशासन द्वारा इस नृशंस हत्याकांड पर क्रूर तरीके से पर्दा डालने का असफल प्रयास किया। इतना ही नहीं पुलिस ने अपनी सारी सीमाएं पार करते हुए नेताओं जनप्रतिनिधियों को न केवल पीड़ित परिवार से मिलने से रोका बल्कि उत्तर प्रदेश प्रदेश में साफ-सुथरी छवि के जाट नेता जयंत चौधरी पर लाठीचार्ज किया। यदि उनके समर्थक उनको घेर कर खड़े नहीं होते तो श्री जयंत चौधरी को गंभीर चोट आ सकती थी। साथ ही राष्ट्रीय चैनलों के प्रतिनिधियों को भी पीड़ित परिवार तक नहीं पहुंचने दिया। पूरे सप्ताह पुलिस जनप्रतिनिधि के बीच घमासान चलता रहा। पुलिस ने प्रशासन के इशारे पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी व प्रियंका गांधी के साथ भी ना केवल धक्का-मुक्की की बल्कि दुर्व्यवहार भी किया। दूसरी ओर सारे मानवाधिकारों को ताक पर रखते हुए मृतका लड़की के शव को आधी रात में परिवार की गैरमौजूदगी में चुपचाप जला दिया। हाथरस कांड पर उत्तर प्रदेश पुलिस की जितनी भर्त्सना की जाए कम हैं।हालांकि केस अब सीबीआई को ट्रांसफर किया जा चुका हैं। लेकिन भला हो देश की अदालतों का कि वह जुल्म की सारी हदें पार होने पर कई बार स्वतः संज्ञान ले लेती है। हाथरस कांड पर भी लखनऊ हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पुलिस प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। तीन दिन पहले हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई एवं सुनवाई के बाद माननीय विद्वान जजों की पीठ ने ग्यारह पेज का आदेश जारी कर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने पीड़ित परिवार को कड़ी सुरक्षा देने का आदेश दिया है। रात में पीड़िता की लाश जलाने को लेकर बेहद नाराज कोर्ट ने प्रशासन को कड़ी फटकार लगाते हुए सवाल किया कि बिना परिवार की मंजूरी के लाश क्यों जलाई? क्या किसी अमीर की बेटी की लाश इस प्रकार जला देते ? माननीय कोर्ट ने डीएम, एडीजी पर भी सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि डीएम हाथरस का बयान विरोधाभाषी है। बता दें कि डीएम का एक बयान वायरल हुआ था जिसमें वह पीड़ित परिवार को धमका रहे थे। डीएम का कहना था कि दो दिन बाद मीडियावाले चले जाएंगे तो हम यहां रहेंगे।

हाथरस कांड की लड़की की मौत के बाद उसे इंसाफ दिलाने की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट की सबसे चर्चित मशहूर वकील सीमा कुशवाहा ने ली है।वह पीड़ित परिवार की ओर से लखनऊ हाई कोर्ट में भी उपस्थित थीं। मिली जानकारी के मुताबिक, सीमा अब हाथरस दुष्कर्म कांड मामले में केस लड़ेंगी, वह भी बिना फीस लिए। बता दें कि सीमा कुशवाहा ने निर्भया केस भी लड़ा था और अंत में चारों दरिंदों (मुकेश सिंह, अक्षय सिंह ठाकुर, पवन कुमार गुप्ता और विनय कुमार शर्मा) को 20 मार्च को फांसी दिलाई थी। यह सच है कि दिल्ली के निर्भया कांड में सीमा कुशवाहा के प्रयासों के चलते ही चारों दोषियों को फांसी मिल सकी था, ऐसे में यदि वो इस मामले को हाथ में लेती हैं, तो हाथरस पीड़िता को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी।