बसपा का ढहता किला...
दलित समाज के नेता के रूप में उभरते चंद्रशेखर रावण?
भीम आर्मी के चीफ़ एवं आज़ाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण ने कम समय में ही दलित समाज के नेता के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी हैं। दलित व पिछड़े समाज के ज्वलंत मुद्दों पर आक्रमण रुख इख्तियार करने वाले चन्द्रशेखर दलित समाज में बहुत कम समय में अपनी अमिट छाप छोड़ रहें हैं। चंद्रशेखर उर्फ रावण के राजनीति में आने का सबसे ज्यादा नुकसान दलित समाज की एक छत्र नेता कुमारी मायावती को हो रहा है। वैसे भी बहन जी अपनी कार्यशैली के चलते समाज का विश्वास खोती जा रहीं है। उत्तर प्रदेश में चार बार मुख्यमंत्री की कुर्सी को सुशोभित करने वाली मायावती के आज उत्तर प्रदेश विधानसभा में मात्र 18 विधायक है। उसमें से भी पिछले दिनों पांच विधायक बगावत कर गए। राज्यसभा में पांच एवं लोकसभा के मात्र 10 सांसद हैं। उसमें भी समाजवादी पार्टी की मेहरबानी शामिल है। कभी तिलक तराजू और तलवार की बात करने वाली मायावती सत्ता में मद में चूर होते ही दलित समाज से दूर होती चली गई। समाज जिस जाति समूहों का सदियों से शोषण का शिकार रहा वहीं सब बसपा में सर्वोसर्वा हो गये। परिणामस्वरूप जिस समाज ने मायावती को सर आखों पर बिठाया था। उसी ने अपने उभरते नेता चंद्रशेखर उर्फ रावण को अपना नेता मानना शुरू कर दिया। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के गाँव सबीरपुर में राजपूतों और दलितों के बीच हुई हिंसक झड़पों व आगज़नी के बाद वह चर्चा में आये। इस मामले में वह 16 महीने की लम्बी जेल भी काट कर आये,लेकिन जेल की सलाखों ने उनके मजबूत इरादों को कही भी डगमगाने नहीं दिया। चंद्रशेखर उर्फ रावण को सुर्खियां तब भी मिली जब उन्होंने अपने गांव घडकौली के सामने 'द ग्रेट चमार' का बोर्ड लगाया। उनका तर्क था कि इलाके में वाहनों तक पर जाति के नाम लिखे होते हैं और उन्हें दूर से पहचाना जा सकता है, जैसे द ग्रेट राजपूत, राजपूताना इसलिए हमने भी 'द ग्रेट चमार' का बोर्ड लगाया। इसे लेकर विवाद भी हुआ लेकिन यह बार्ड उनके गांव घडकौली में आज भी लगा हुआ। जो उनकी दबंगता का प्रतीक है। भीम आर्मी/आजाद समाज पार्टी के संस्थापक और पेशे से वकील चंद्रशेखर आज़ाद उर्फ रावण भाजपा और आरएसएस पर सीधे आरोप लगाते हुए बेवाकी से कहते हैं। "भाजपा और आरएसएस इस देश में बाबा साहब के संविधान की जगह हिंदू संविधान लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। और इससे पहले कि ऐसा हो, लोगों को सतर्क हो जाना चाहिए। इंडियन एक्सप्रेस को दिए अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने ने आरोप लगाया था, कि हम लोगों को हर दिन दबाया जा रहा है। हमारी कोई आवाज़ नहीं है, राजनीतिक दलों को सभी समुदाय के वोटों की जरूरत है लेकिन किसी को हमारे समुदाय की चिंता नहीं है।
चंद्रशेखर आज़ाद उर्फ रावण ने शाहीन बाग में सीएए के विरोध में मुस्लिम महिलाओं द्वारा चलाये गए ऐतिहासिक धरने का समर्थन कर मुस्लिम समाज में भी अपनी पकड़ मजबूत की हैं। यदि आजाद समाज पार्टी उत्तर प्रदेश में दलित-,मुस्लिम गठबंधन बनाने में कामयाब होती है तो सुखद परिणाम सामने आएंगे। एवं आने वाले चुनावों में दलित राजनीति में बदलाव निश्चित तौर पर देखने को मिलेगा।
इंक़लाब आएगा रफ़्तार से मायूस न हो।
बहुत आहिस्ता नहीं है जो बहुत तेज़ नहीं।